Friday, September 24, 2010

"छेड़ो न सरगम !!"

छेड़ो न सरगम
ऐ हमदम
कोई नगमा न बन जाये!
साज़े दिल, हैं दबे
अरमाँ मेरे 
 जबाँ पर न छा जायें!

है मन के किसी कोने में
कोई तराना
तुम पर उसे न गुनगुनाना!
संगीत की इन वादियों में
शायद कोई
बन न जाये,  फसाना!

फिर भी मतवाला मन पंछी
भटके है फलक पर
शायद किसी की तलाश में !
मन क्यों हैं बेचैन
मृगतृष्णा बन
ढूंढें किसी की आस में !

दूर कर दो
मन के वीराने को
हाँ शायद
किसी फसाने से
पर फिर क्यों मन भागे है
सरगम के तरानों से.......

(inspired by my photography
-pic musings)

2 comments: